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मोदी जी ने मुझे मारने को ब्रम्हास्त्र प्राप्ति के लिए केदारनाथ में तपस्या की – केजरीवाल

… तो अब इस रहस्य से पर्दा उठ ही गया है कि लगातार प्रचार करते मोदी जी अचानक से केदारनाथ क्यों चले गए।  दिल्ली में खचाखच भरे प्रेस कांफ्रेंस में युगपुरुष अरविन्द केजरीवाल ने खुलासा किया और सबको 370 पेजों का सबूत दिया कि मोदी जी उनको मारने के लिए ब्रम्हास्त्र प्राप्त करना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने भगवान् शिव की रात भर तपस्या की । 


ब्रम्हास्त्र के दस्तावेजी सबूत – केजरीवाल 

केजरीवाल जी ने आगे बताया कि मोदी जी दिल्ली को लन्दन नहीं बनने देना चाहते इसीलिए मुझे मारने के लिए तरह तरह के उपाय कर हैं। वो बहुत दिनों से ऐसी कोशिशें कर रहे हैं। उन्होंने इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा कर दिया कि जल्दी ही विधान सभा में इसको साबित कर देंगे। सुना है उनके विधायक और आम आदमी पार्टी के R&D विभाग RAAYTA (Research and Analysis by AAP Youthwing Testing Academy) के सर्वेसर्वा सौरभ भारद्वाज इस बार ब्रम्हास्त्र का डमी बना रहे हैं और जल्दी ही विधान सभा में इसका डेमो देंगे।  

वही कोलकाता से ममता दीदी ने कहा कि मोदी काला जादू करने गुफा में गए थे। काला जादू करके वे बांग्लादेशी जनता के दिमाग पर वशीकरण और EVM को हैक करना चाहते हैं।  उन्होंने बताया कि ये बातें वे अपने आध्यात्मिक गुरु के सलाह पर ही कर रही हैं।  


ममता बनर्जी के आध्यत्मिक गुरु 

अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में माननीय राहुल गाँधी जी भी मोदी जी का मजाक उड़ाते हुए बोले कि मैं भी छुट्टी पर जाता हूँ, लेकिन कैमरा लेकर नहीं। पिछली बार चिंतन करने गया था तो किसी को हवा भी नहीं लगा कि मैं थाईलैंड में हूँ।  ठीक वैसे ही आप लोग ढूंढते रह जाओगे कि 23 मई के बाद मैं कहाँ गया। जितनी तेजी से मैं गायब होऊंगा वैसे ही मेरी पार्टी भी गायब हो जाएगी।   

वही अखिलेश यादव भी पत्रकारों को बता रहे थे कि मैंने भी एक गुफा बनवा लिया है जिसमे खूब सारी टोंटिया लगी होंगी जिससे मुझे ध्यान करने में सहायता मिलेगी। 

अपने तपस्या से बहार आते ही मोदी जी ने पत्रकारों को बताया कि केजरी-वध के लिए ब्रम्हास्त्र आने ही वाला था कि बादल घिर गए और उसके आगे की स्थिति नहीं चल पाया क्योंकि राडार ठीक से काम नहीं कर रहे थे।  

अब देखते हैं कि 23 के बाद किसकी बात कितनी सही होती है और सौरभ भारद्वाज का दिल्ली विधान सभा में ब्रम्हास्त्र का डेमो कब होता है ?

पूरी तरह सत्य घटनाओ पर आधारित इस व्यंग्य के घटनाक्रम, पात्र और कथानक में समानता एक महज़ संयोग नहीं है।

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