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मैं और मोदी – क्यों और कब से ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोचता हूँ तो बात 2001, 26 जनवरी से शुरू होती है।  गुजरात में भयंकर भूकंप आया था।  इस फोटो को देखकर उत्सुकता बढ़ी लेकिन बहुत ज्यादा नहीं, हाँ अच्छा जरूर लगा।

CM Modi surveying Rescue works

गुजरात अच्छे से संभल रहा था, खड़ा हो रहा था तभी फिर एक  साल बाद 2002 के दंगे हो गए।  चुनाव हुआ मोदी फिर जीत गए और इससे ज्यादा कुछ याद नहीं आता।

मेरे भैया सूरत में रहते थे मेरे इंजीनियरिंग का आखिरी साल 2006 था। अम्मा के साथ सूरत गया। मामा मुंबई में रहते हैं , रक्षा बंधन का समय था, हुआ कि चलो मेरी अम्मा सालों बाद मामा को राखी बाँध आएँगी।  मेरा भी पहली बार मुंबई जाने का सपना पूरा होने वाला था। लेकिन उसके 2 दिन पहले ही सूरत में भयंकर बाढ़ आयी और सब अस्त व्यस्त हो गया।  पानी, बिजली बंद, हर क्षेत्र में 6-8 फिट का पानी था जो की घरों में तहस नहस मचा रहा था। अखबार आया तो राहत कार्य और बाढ़ के विकराल रूप का पता चला। उसके पहले केवल मोदी का नाम सुना था लेकिन अब देखने को मिला पहली बार। ऐसे फोटो रोज़ आते थे।

CM Modi during Surat Flood in 2006

मोदी चुनाव पर चुनाव बहुमत से जीतते जा रहे थे, कांग्रेस के पास कोई काट न था। सिवाय दंगो में दोषी साबित करने की कोशिश के। सबने कोशिश की, नाम उग्र हिंदुत्व के साथ जोड़ा।  सब जगह प्रचार किया कि मुस्लिम केवल हिन्दुओं की बात करते हैं, लेकिन एक रिपोर्ट ये भी थी मोदी राज में बहुत से मंदिर तोड़े गए और विकास को पहली प्राथमिकता दी गयी। 

Modi has first priority as Development

2008 में खुद लगभग 2 साल के वड़ोदरा जाने का मौका मिला। विकास को और पास से देखा तो मोदी के प्रति उत्सुकता और बढ़ी। फिर मिले ये वीडियो जब उन्होंने गुजरात में वोटिंग अनिवार्य करने का क़ानून पास करा दिया, ये वीडियो देखा तो लगा इसी नेता के पास जबरदस्त विज़न है।

खैर वड़ोदरा छूटा और 2010 में  पुणे पहुंच गया लेकिन दोस्तों से मिलने जाता रहता था और विकास और बाकी के काम देखकर ख़ुशी होती थी। बीच में टाटा नैनो के प्लांट को जिस तरह से मोदी ने ममता से छीन लिया था, उससे भी उनके दूरदर्शिता की झलक मिली और ये अकेली घटना नहीं थी।  बहुत सी कंपनियों ने अपना काम गुजरात में चालु किया और वाइब्रेंट गुजरात से बहुत सारा निवेश भी आया।

2013 में भाजपा ने मोदी जी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार तय किया और मन को ख़ुशी हुयी कि चलो एक दूरदर्शी नेता के हाथों में देश की कमान होगी। बीच में अन्ना आंदोलन हुआ, फिर केजरीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा दिखने लगी लेकिन देश के लिए मैं हमेशा से मोदी जैसा नेता चाहता था जिसके पास विज़न हो और काम करने का एक दशक से ज्यादे का अनुभव। तो कभी केजरीवाल के लिए सोचा भी नहीं और 49 दिन में दिल्ली छोड़कर भागने और वाराणसी में मोदी को चुनौती देते समय केजरीवाल गए नाटक से उससे और नफ़रत होने लगी। 

खैर, उम्मीद के अनुसार, मोदी प्रधानमंत्री बन गए। मोदी अपने बचत का बहुत हिस्सा अपने कर्मचारियों को दे देते हैं तो उपहारों को नीलाम करके मिले धन को भी दान दे देते हैं।  

पहले ही दिन से ऐसी शुरुआत कि जैसे कोई पिछले काम पूरा करना हो। काम इतनी छोटी छोटी बातों से शुरू हुआ जिसे हम इग्नोर करते रहे।

स्वच्छता अभियान, जन धन, डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर, आधार की अनिवार्यता, उज्ज्वला, नमामि गंगे और भी बहुत से ऐसे छोटे दिखने वाले बड़े प्रोजेक्ट थे तो बड़े दिखने वाले बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट जैसे बुलेट और स्मार्ट सिटी, GST, Make In India, नोटबन्दी, नए AIIMS, उड़न, और सैकड़ो इंफ्रास्ट्रक्चर वाले और भी बहुत से आधुनिक सोच वाले प्रोजेक्ट। ऐसा नहीं है कि मोदी के आते ही सारे अफसर बदल गए, जी नहीं  अधिकारी वही, ऑफिस वही, बदला तो बस नेता और उसने सबको बदल दिया। 

कुल मिलकर देश एक नए रास्ते पर चल चुका है। कभी राजीव गाँधी ने कहा था कि दिल्ली से भेजे गए पैसे का 15% ही लोगों तक जाता है तो अब पूरे के पूरे पैसे सीधे अकाउंट में जा रहे हैं । 

पाकिस्तान के मुशर्रफ जो पहले एटॉमिक हमले की धमकी देते  थे आज खुद वही मुशर्रफ कहते है अगर हमने एक बम गिराया तो हिंदुस्तान 20 बम गिराकर हमें ख़त्म कर देगा।

मोदी विरोधी कहते हैं AIIMS की नींव पड़ी लेकिन पैसा रिलीज़ नहीं हुआ, काम ठप्प है।  हाँ इसके पहले की सरकारों में फण्ड तो रिलीज़ होता था लेकिन नेताओ की जेब में जाता था। अब वो बात ना रही।  हाँ, थोड़ा समय लगता है, बहुत बड़ा देश है, बहुत बड़ी आबादी है तो एक और मौका देना बनता है और अगर मोदी नहीं तो कौन ?

अपना वोट सोचकर दें, देश के लिए दें, छोटा सा लालच देश को बहुत पीछे लेकर जा सकता है। ना ही मैं भाजपा के आईटी सेल से हूँ न ही भाजपा का सदस्य।  मोदी मोदी या किसी और से पैसे  लेकिन  इनकम टैक्स और होम लोन की व्याज दर कम होने से जेब पर थोड़ी राहत जरूर आयी है।  

ना ही मैं भाजपा के आईटी सेल से हूँ न ही भाजपा का सदस्य। मोदी या किसी और से पैसे भी नहीं मिलते हैं लेकिन  इनकम टैक्स और होम लोन की व्याज दर कम होने से जेब पर थोड़ी राहत जरूर आयी है।  

मेरा जो विश्वास मोदी पर 2005 से चालू हुआ, समय के साथ हर बार बढ़ता ही गया। ये आर्टिकल मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेखा जोखा नहीं बल्कि मेरी पसंद के बारे में है।     

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