देश को “वेनेज़ुएला” बनाने की राह पर राहुल गाँधी

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कुछ दिन पहले की राहुल गाँधी ने वादा किया की अगर उनकी सरकार बनी तो गरीबों को एक न्यूनतम आय दिया जाएगा | अभी 2 महीने पहले ही 3 राज्यों में किसानों के कर्जमाफी का वादा करके उन्होंने कुर्सी भी पायी | उनमे ज्यादातर को कुछ फायदा नहीं हुआ, जो संपन्न हैं उनको फायदा मिला लेकिन ये दूसरा मुद्दा है | क्या हो अगर सारी सरकारें इसी ढर्रे पर आ गयी तो ?

देश के गरीबों को राहुल जी ने तो अब 72000 सालाना देने का वादा कर दिया।  कैसे वेनेज़ुएला बनाना चाहते हैं इसे देखने के लिए सबसे पहले वेनेज़ुएला की कहानी देख लेते हैं – 

सबको पता है कि वेनेज़ुएला आर्थिक तंगी से जूझ रहा है | अपहरण लूटपाट अपराध अपने चरम पर है | दरअसल वेनेज़ुएला की राजधानी करकस दुनिया के सबसे अपराध वाले शहरों में टॉप पर है | लेकिन ये देश पहले तो ऐसा नहीं था, फिर क्या हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा तेल भण्डार और सबसे ज्यादा तेल का निर्यात करने वाला देश इस कगार पर पहुंच गया कि अब लोगों के पास खाने को नहीं है और सरकार की आर्थिक दशा इतनी खराब है कि चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते |

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कहानी शुरू होती है 1920 से जब वेनेज़ुएला में सबसे बड़े तेल कुए का खोज हुआ और उन्होंने खूब उत्पादन शुरू किया | 1950 के आसपास अरब देशों ने भी तेल का निर्यात करना चालू किया | कॉम्पिटिशन बढ़ा, ओपेक का गठन हुआ | कुछ दिक्कतें रही लेकिन धीरे धीरे सब ठीक हो गया और 1999 तक वेनेज़ुएला दुनिया में सबसे ज्यादा तेल का उत्पादक बन गया और इस देश ने कभी किसी और उद्योग और सर्विस सेक्टर पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया |

उसी समय उनके राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज़ (Hugo Chavez) बने जो कई समाजवादी और लोक लुभावन घोषणाओं के बाद सत्ता में आये थे | उनके जिद्द पर देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी PDVSA (Petroleum of Venezuela ) ने लाखों को बिना काम के नौकरी दिया | कंपनी का घाटा बढ़ा क्योकि उत्पादन पहले ही अपने चरम पर था लेकिन तेल की आसमान छूती कीमतों से कंपनी के सेहत पर बहुत बुरा असर नहीं पड़ा और कंपनी ठीक ठाक चलती रही | हाँ , इसके बदले में देश से गरीबी 50% काम हो गयी | तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा से लेकर सरकोजी तक ने इस पहल की तारीफ़ की | उस समय तेल की बढ़ती कीमतों के साथ इसका मांग भी बहुत बड़ा फैक्टर था जिससे वेनेज़ुएला की आर्थिक दशा अपने चरम पर पहुंच गयी |

जैसा की आप इस ग्राफ में देख सकते हैं कि कैसी 1999 और 2013 के बीच कच्चे तेल की कीमते रही ।

Crude Oil Prices – 70 Year Historical Chart

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संयोगवश 2013 में ह्यूगो चावेज़ का देहांत भी हो गया | 2013 में फिर चुनाव हुए और नए राष्ट्रपति Nicolas Maduro पर पुरानी स्कीम को चालू रखने का दबाव था लेकिन इसके बाद तेल की कीमतों में गिरावट शुरू हुयी, देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी और अभी ये इस हालत में है –

source: tradingeconomics.com

अब वापस आते हैं अपने देश में | शायद अपने देश के लिए वेनेज़ुएला का दिया ये उदाहरण आपको अतिशयोक्ति लगे लेकिन उसके भी पतन की शुरुआत ऐसे ही लोक लुभावन नीतियों की वजह से हुई थी | अपने यहाँ भी कोई पानी, बिजली, तो कोई कर्ज माफ़ी या फिर अब गरीबों को न्यूनतम आय देने का वादा कोई करता है तो वो वोट के लिए करता है और बहुत बुरे ट्रेंड की शुरुआत करता है |

थोड़ा इतिहास में झांके तो 1971 में इंदिरा गाँधी का चुनावी नारा गरीबी हटाओ सबसे पहले याद आता है | इस कई पांच वर्षीय योजनाओं में भी शामिल किया गया उसके बाद उनके बेटे और प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने भी यही नारा दिया लेकिन परिणाम क्या मिला सबको पता है |

कांग्रेस की गरीबी हटाओ योजना और उसका ट्रेंड देखकर यही लगता है कि वे गरीबी हटाना ही नहीं चाहते बल्कि लोगों को और गरीब बनाये रखना चाहते हैं जिससे कि इन गरीबी हटाओ योजना के नाम पर वोट मांग सके और भोली भाली जनता को बरगला सकें | और इस योजना के समर्थकों से एक सवाल जब 1971 से इस फार्मूला पर काम करते इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी गरीबी नहीं हटा पाए तो अब राहुल गाँधी कैसे हटाएंगे | केवल फ्री के पैसे बांटकर ?

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अगर मान लेते हैं राहुल गाँधी या कोई भी सरकार ऐसी योजना चलाती भी है तो क्या होगा ?
1. आम लोगों पर टैक्स बढ़ेगा |
2. उद्योगों पर भी टैक्स और बढ़ेगा जिससे विदेशी निवेश भी प्रभावित होगा |
3. अन्य जगह से बजट में कटौती भी करनी पड़ेगी |
4. फिर अगले चुनाव में दूसरी पार्टी द्वारा इससे भी ज्यादा का वादा होगा और अतिरिक्त भर देश की आर्थिक व्यवस्था पर ही आयेगा |

किसी को मुफ्त पैसे देने की बजाय उसे पैसे कमाने का हुनर बताओ | मुफ्त की आदत इंसान को आलसी और लालची बनती है जबकि पैसे कमाने का हुनर उसे मेहनती बनाता है | प्रधानमंत्री मोदी की कई सारी योजनाए स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा लोन योजना आदि बहुत सी योजनाएं हैं जो स्वरोजगार को बढ़ावा देती हैं |

राहुल जी आम लोगों के बीच में तो रहे नहीं  तो शायद उन्हें नहीं पता होगा कि जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र कितनी आसानी से बन जाता है अपने देश में । वैसे उनके इस इस वादे का सबसे सटीक जवाब इस ट्वीट में हैं –

…तो दुनिया में हो रहे घटनाक्रम से सबक लेते हुए अपने देश का भला सोचे और देशहित में वोट करे |

देश हित में अपना हित भी निहित है | देशहित तो हम हिट