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माँ, बचपन और यादें…

बचपन, ज़िंदगी का वह दौर जब आप सबसे धनवान होते हो, खुशियों के नज़रिए से | जब बड़े होते हैं तो जिंदगी की आपा धापी मे शायद थोड़े पैसे तो आ जाते हैं लेकिन वो खुशियाँ, वो अमीरी बस यादें बन के रह जाती हैं | उन्ही यादों के फ्लैशबैक मे लेकर जाती मेरी ये कविता –

P.S. – मैं अपनी कविताओं को इमेज फॉर्म मे ही पोस्ट करता हूँ जिससे लोग मेरा नाम हटाकर कॉपी पेस्ट ना करें | हाँ, शेयर करने की कोई मनाही नही है |

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