शीर्षक से कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए, मेरे दोस्त जैसे पहले थे, वैसे ही आज भी मेरे साथ खड़े हैं।
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अभी यही हूँ …
काश, कितना अच्छा हो जब तक वो साथ रहे तो अच्छी-बुरी सारी बातें कर ले क्योंकि बाद में तो वो अपनी तारीफ़ सुनने नहीं आएगा ना ।
Continue readingबांध मुट्ठी और ठान ले …
कभी राहें मुश्किल होंगी तो कभी अपने ही पीछे खींचने में लगे रहेंगे। लेकिन आगे बढ़ना है तो अकेले ही चलना है। इसलिए बांध मुट्ठी और ठान ले …
Continue readingमाँ, बचपन और यादें…
बचपन, ज़िंदगी का वह दौर जब आप सबसे धनवान होते हो, खुशियों के नज़रिए से | जब बड़े होते हैं
Continue readingमाँ, मेरी माँ, अम्मा …
ये पहली नज़र का ऐसा प्यार है जो जिंदगी भर साथ रहता है, जिंदगी भर याद रहता है
जब भी, कभी भी, कोई भी बात आती है।
जाने क्यों हर बार, बस माँ की याद आती है।।