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पहले भाग में आपने देखा कि मोदी ने सीमा के प्रहरियों के लिए क्या कदम उठाये | अब हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सेना के लिए क्या क्या किये |
Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI) के इस रिपोर्ट में हम देखते हैं कि दुनिया के सारे रक्षा उत्पादों का सबसे बड़ा आयात भारत में होता हैं जो कि 12% हैं | चीन और पाकिस्तान भी इस लिस्ट में हैं और लेकिन चीन इनका निर्यात भी करता हैं | भारत का रक्षा आयात 2008-2012 की अपेक्षा 2013-12017 में 24% बढ़ गया था |
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट बताते है कि भारत दुनिया का ५ वां सबसे बड़ा रक्षा संयंत्रों पर खर्च करने वाला देश है | उसके पहले USA, चीन, रूस,और सऊदी अरब आते हैं |
अपने देश में DRDO के 50 से ज्यादा लैब्स, पांच रक्षा Public Sector Units , 4 शिपयार्ड और 41 आयुध कारखाने हैं लेकिन कई बार सरकारों के बदलने के बाद भी उनसे कुछ ज्यादा उत्पादन नहीं हो सका और देश रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर नहीं बन पाया |
SIPRI कि एक दूसरी रिपोर्ट बताते है भारत के केवल 4 रक्षा उत्पादन संस्थान दुनिया भर के टॉप 100 में जगह बना पाए वो भी बहुत सम्माननीय नहीं | भारतीय आयुध कारखाना 37 पर, HAL 38 पर, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड 64 और भारत डायनामिक्स 94 स्थान पर है |
अब आपकी तरह मेरे भी मन में एक सवाल उठा कि 4 बार पाकिस्तान के युद्ध, 1 बार चीन से युद्ध होने बाद ये जग जाहिर है कि अपने देश को अच्छे पडोसी नहीं मिले हैं | उनसे प्रतिद्वंदिता बनाये रखने के लिए भरा कि रक्षा जरूरतें भी बहुत ज्यादा हैं फिर भी आज़ादी के 70 साल के बाद भी हम आत्म निर्भर क्यों नहीं हो पाए ?
इसका कारण पूर्ववर्ती सरकारों का निर्णय न ले पाना भी है |
CAG ने 2013 में हथियारों की स्थिति के अनुसार एक रिपोर्ट दी थी जिसके अनुसार युद्ध के हालत में भारत 10 दिन से ज्यादा की लड़ाई नहीं लड़ सकता हैं | 2014 में नरेंद्र मोदी केंद्र में आये | अब देखते हैं 2013 की स्थिति से बहार आने के लिए उन्होंने क्या किया ?
सरकार ने 250 बिलियन डॉलर का रक्षा के आधुनिकीकरण का खाका तैयार किया और भी बहुत से रणनीतिक फैसले लिए जिनके मुख्य विन्दु ये हैं –
2005 में केलकर कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में रक्षा उत्पादनों के लिए प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी का सुझाव दिया जो कि मोदी सरकार के आने तक ठन्डे बास्ते में चला गया था |
पहले के बहुत सारे रक्षा डील बिचौलियों के माध्यम से ही होते थे, क्वात्रोची, बोफोर्स घोटाला, मिशेल इत्यादि कुछ कुख्यात नाम हैं जिन्होंने सरकार को शर्मशार किया हैं |
पैसे की कमी को पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने पहले ही बजट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 26% से बढाकर 49% कर दिया | हालांकि उससे भी बहुत निवेश आता नहीं दिख रहा है | अब सरकार FDI 74% या और ज्यादा करने पर विचार कर रही है |
इस सरकार ने पिछले 4 साल में 182 से ज्यादा रक्षा सौदे किये |
2016 में अमेरिका के साथ लंबित LEMOA भी साइन हो गया जिससे रक्षा सहभागिता में आसानी रहेगी | ज्यादे जानकारी के लिए ये वीडियो देखिये |
इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती हैं २५० बिलियन डॉलर के आधुनिकीकरण के प्रोग्राम में बहुत कुछ देश के अंदर भी उत्पादन करने की योजना हैं जिसके लिए मेक इन इंडिया और ओफ़्सेट जैसे कार्यक्रम लाये गए |
हिंदुस्तान टाइम्स की ये रिपोर्ट मोदी सरकार के कामों की तारीफ़ करते हुए पैसे की कमी को भी चिन्हित करती है | शायद FDI बढ़ने से ये समस्या समाधान हो जाये |
संयुक्त रक्षा अभ्यास
दो या दो से ज्यादा देशो की सेनाओं के बीच के शांतिकाल में होने वाला यह अभ्यास उन्हें एक दूसरे की भाषा, नयी टेक्नोलॉजी, अंतरार्ष्ट्रीय सिग्नल सिस्टम और बेहतर सहयोग देने के लिए बहुत ही जरुरी है |
यहाँ इस चार्ट में 2005 से 2018 तक अपने देश के किये गए सारे रक्षा अभ्यासों की संख्या बताता है | आप भी देखे उनकी संख्या |
इसके साथ ही आपने ने मोदी सरकार के सैनिक और सेना दोनों के लिए किये गए कार्यों को देखा | फिर मिलते हैं किसी और टॉपिक के साथ